समय चक्र यदि उल्टी गति से चलने लगे तो हम कलयुग से निकलकर द्वापर से गुजरते हुए उस त्रेता युग में पहुंच जाएंगे जो
ये दो अक्षरों का शब्द ‘राम‘ बहुत ही चमत्कारी है। हम जिस रामायण वाले राम की बात करते हैं तो वह तो एक अवतार
घमंड के भाव आ जाने से व्यक्ति का पतन हो जाता है। मुगल बादशाह अकबर ने देवी मां के दरबार में सोने का छत्र
भगवान श्रीरामचन्द्र जी का इस पृथ्वी पर त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात प्रथम शरदीय नवरात्र तिथि में हुआ। ये इक्ष्वाकुवंश में महाराज दशरथ
गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, श्रीराम और माँ सीता के विरह का रहस्य क्या है ? परम पूज्य गुरुदेव : रामायण की यथार्थता के