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Episode 5: दिव्य भारत भूमि के परिवेश को छोड़ने से आते हैं रोग 

00:00:02 एक पत्र हमारे पास आया है ऑस्ट्रेलिया से मिस्टर कुलवीर सिंह भौरिया जी का और ये जानना चाहते है कि इनको क्या-क्या रोग हैं?

00:00:09 जब यह बचपन में थे कोई 5-6 साल की अवस्था में, तब ये गिर गए थे । उस चोट के कारण इनके गर्दन के हिस्से में, बैक के हिस्से में काफ़ी दर्द होता है ।

00:00:24 इसे स्नायु शोध भी कहते हैं, नाड़ी शोध भी कहते हैं, नाड़ी प्रदाह इन्हे हो गया है । तो इन्हें इतना दर्द होता है कि कभी-कभी ये पीड़ा असहनीय हो जाती है ।

00:00:38 इसका चिकित्सा, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में कोई निदान नहीं है, कोई डायग्नोज़ नहीं है। एम आर आई भी करेंगे, तो उसमें इतना

00:00:48 क्योंकि जो है ये कैट स्कैन है या एम् आर आई है या इतने टेस्ट है ऑस्ट्रेलिया में तो और भी अच्छे टेस्ट हैं। लेकिन ये सूक्ष्म नाड़ी प्रदाह है।

00:00:57 इसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कोई भी पकड़ नहीं पाता। तो ये दर्द की कोई भी औषधि लेंगे?

00:01:04 थोड़ी समय के लिए उनको आराम मिलेगा। लेकिन वो जो दवाईयाँ है दर्द वाली वो सभी मस्तिष्क पर प्रभाव करती है, उससे इनके मस्तिष्क में तनाव आ जाएगा। उसके ये हैबिचुअल हो जाएंगे तो ये काफी समय से उसकी दवाई ले रहे हैं।

00:01:20 उस मेडिसिन के साइड इफेक्ट भी है, उससे एसिडिटी भी होती है, इनडाइजेस्शन भी होता है। उनसे पेप्टिक अल्सर होने की भी संभावना है।

00:01:28 तो इसका आधुनिक विज्ञान में, चिकित्सा जगत में कोई इलाज नहीं है, डाइग्नोस भी नहीं है पूरा क्योंकि पीड़ा से परेशान हो जाते हैं ।

00:01:36 तो जो मैं इन्हें औषधि बताऊँगा प्रभु की कृपा से इन्हें थोड़े दिनों में ही आराम मिलेगा ।औषधि लेकर ये अपने चिकित्सक से राय भी लेते रहें और प्रभु की कृपा से ये ठीक हो जाएंगे ।

00:01:48 एक तो डोडा-पोस्त, अश्वगंध, सुरंजन, विधारा की जड़, नागरमोथा, कुलंजना, दारुहरिद्रा और गूगल।

00:02:05 सभी को 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटलें और उसके अंदर आधा ग्राम स्वर्ण भस्म और वज्र भस्म मिलाकर, छानकर

00:02:17 और छेह ग्राम की मात्रा में सुबह शाम प्रयोग करें। तो तीन माह के प्रयोग से ही ये रोग से पूर्ण मुक्ति प्राप्त करेंगे। इनको आराम एक माह में ही आ जाएगा।

00:02:28 और उसके बाद ये अपने चिकित्सक से राय भी लें तो ये दर्द इन्हें काफ़ी समय से काफ़ी सालों से परेशान करता है।

00:02:36 और ये तीन माह में ही पूर्ण रूप से रोग से मुक्ति प्राप्त करेंगे। उसके बाद अपने चिकित्सकों की भी राय ले और चिकित्सकों को भी दिखा दें कि आयुर्वेद ऐसा विज्ञान है जिससे आप भी लाभ उठा सकते हैं।

00:02:49 और पूरा जगत भी लाभ उठा सकता है क्योंकि भारत की जो दिव्य औषधियाँ हैं इन औषधियों में ऋषि मुनियों का जो

00:02:57 तप है, जो साधना है, जो ध्यान है वो भी कार्य करता है, दिव्य औषधियाँ भी कार्य करती हैं । जैसे ये वास्तविक सत्य है कि भारत भूमि जो है वो दिव्यशक्तियों का, दिव्य औषधियों का एक बहुत बड़ा केंद्र रहा है तो इस भारत भूमि के दिव्य परिवेश से ये विदेशों में गए, तो क्या इस तरह से जो लोग जाते है क्या उनको किसी तरह के रोग होते हैं?

00:03:20 आप कभी अगर विदेशों में जाएंगे देखेंगे ऑस्ट्रेलिया में, अमेरिका में, कनाडा में, यूरोप में तो आपको वहाँ बड़े अच्छे-अच्छे सुन्दर फूल मिलेंगे

00:03:33 इतने सुंदर फूल बड़े-बड़े मिलेंगे जो भारत की भूमि पर नहीं मिलेंगे। लेकिन उन फूलों में सुगंध नहीं है। सुगंध जो भारत की भूमि के फूलों की है वो विश्व में कहीं भी नहीं है।

00:03:48 सब्जियाँ आपको बड़ी सुन्दर मिलेंगी, फल आपको बड़े-बड़े मिलेंगे। आम आपको बहुत बड़े-बड़े मिलेंगे, लेकिन जो आमों का स्वाद भारत की भूमि पर है, भारत की धरती पे है।

00:03:59 ये इसलिए नहीं है कि यह भारत हमारा है, हम इसलिए बोल रहे है । इसलिए कह रहे हैं कि भारत भूमि तपों से भरी हुई है, ऋषियों की तपो से भरी हुई है।

00:04:09 तो ऐसे जब आप ऑस्ट्रेलिया में जाएंगे तो पुरुष बड़े सुंदर मिलेंगे? उनकी हाइट लंबी होगी, स्वस्थ आपको देखने में अच्छे लगेंगे।

00:04:19 लेकिन उनके शरीर में कैल्शियम की कमी होगी विटामिन ए कमी होगी। विटामिन ई की कमी होगी क्योंकि वहाँ का जो वातावरण है

00:04:28 वो मेडिकल के हिसाब से शुद्ध है। वहाँ प्रदूषण नहीं है। अगर आप कुछ श्वेत कपड़ा भी पहनेंगे तो 8-10 दिन मैला नहीं होता। भारत की धरती पर वो दूसरे दिन ही मैला हो जाएगा।

00:04:43 इतनी वहाँ सफाई होने के बाद भी जो रोग निरोधक शक्तियाँ हैं वहाँ वो कम है। और वहाँ इतनी चिकित्सा विज्ञान फैला हुआ है, वहाँ लोगों को इतने रोग है, इतनी पीड़ाएँ हैं, इतने कष्ट हैं कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि ऐसे रोग भी होते हैं क्योंकि वहाँ की धरती पे

00:05:03 कोई भी व्यक्ति, वहाँ 100 में से 90% से जो व्यक्ति है वो स्वस्थ नहीं हैं लेकिन देखने में सुन्दर हैं जैसे फूल देखने में सुन्दर है, सब्जियाँ वहाँ देखने में सुंदर है लेकिन जो स्वाद भारत की सब्जियों में है, भारत भूमि की सब्जियों में है वो आपको वहा विदेशों में नहीं मिलेगा।

00:05:21 ऐसे जो भारतीय लोग वहाँ गए हैं, उन्हें धन तो मिल जाएगा। मकान उनके सुंदर होंगे, स्वस्थ देखने में अच्छा लगेगा, कारें अच्छी होंगी, उनके पास साधन संपन्न होंगे। किसी चीज़ की भी आवश्यकता है उन्हें शीघ्रता से वो ले लेंगे। कोई ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। मानसिक तनाव नहीं होगा, लेकिन जो हृदय की शांति है वो वहाँ नहीं मिलेगी। वहाँ मानसिक शांति के लिए भी क्लब का सहारा लेना पड़ेगा, पब का वहाँ लेना पड़ेगा, शराब का सहारा लेना पड़ेगा, बीयर का सहारा लेना पड़ेगा, नशे की वस्तुओं का सहारा

00:05:54 लेना पड़ेगा। क्योंकि वहाँ का जो वायुमंडल है उसमें दिव्य शक्तियाँ, जो दिव्यता है वहाँ नहीं है, सफाई है, सुंदरता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जो वहाँ की धरती है, वहाँ के लोगों के लिए यह भारत की धरती, उनको शायद देखने में अच्छी नहीं लगेगी क्योंकि यहाँ सफाई नहीं है। जैसा होना चाहिए, वह नहीं है, लेकिन जो यहाँ एक शक्ति है, पुरुषों के अंदर जो एक सुगंध है, जो एक आभा है, जो एक दिव्यता है, वो वहाँ नहीं है, वो आँखों से नज़र नहीं आता। माइक्रोस्कोप से

00:06:26 नज़र नहीं आता। किसी मशीन के अंदर आता नहीं है क्योंकि वहाँ के जो लोग हैं उसी चीज़ को सत्य मानेंगे जो उनकी मशीनें बोलेगी, जो उनके इंस्ट्रूमेंट बोलेंगे जो उनकी स्कैनिंग बोलेगी, जो उनकी मेडिकल साइंस बोलेगी। लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जहाँ मेडिकल साइंस नहीं पहुँच सकती जहाँ मेडिकल

00:06:47 असफल हो जाता है जहाँ मेडिकल असफल हो जाता है, बुद्धि असफल हो जाती है, मन असफल हो जाता है वहाँ फिर दिव्यता प्रारंभ होती है तो भारत की जो भूमि है ये ऋषि मुनियों की है । ये जो औषधियाँ हैं, अगर आप इनको बाहरी ढंग से देखेंगे तो ये जड़ी बूटी हैं लेकिन जब कोई ऋषि इन्हें मंत्रों द्वारा या ऋषि मुनियों के आह्वान द्वारा इनका उपयोग करवाता है, इनका उपाय बताता है तो उसके अंदर दिव्यता आती है और उस दिव्यता से व्यक्ति ठीक होते हैं। औषधियाँ काम करती हैं अन्यथा अगर वो ख़ाली औषधियों

00:07:19 को टेस्ट करेंगे तो औषधियों में वो नहीं पाएंगे। अगर किसी आदमी का वो पोस्टमॉर्टम करेंगे, देखेंगे तो वहाँ कोई आत्मा नाम की चीज़ व परमात्मा नाम की चीज़ नहीं पाएंगे क्योंकि जो आयुर्वेद मानता है जो मुख्य है वो आत्म तत्त्व है वो ओज तत्त्व है लेकिन उनकी दृष्टि में आत्मा नाम की कोई चीज़ नहीं है क्योंकि वो उसीको ही मानेंगे सत्य हैं जो उनके माइक्रोस्कोप या जो भी उनके इंस्ट्रूमेंट पकड़ेंगे। ऐसे जो ओज है, जो आभा है जो ऑरा है वो अभी तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं पकड़ पाया और न ही वो पकड़ पाएगा। वो ऋषि मुनियों की दिव्यता से, आभा से, 

00:07:53 आत्मतत्व से, वो प्राप्त किया जाता है। तो ये जो भारत की धरती है वो एक अर्थ में अंतर्हित कल्याणकारी है, शक्तिवर्धक है। और आत्मा का कल्याण करने वाली है, मन का भी कल्याण करने वाली है।

00:08:09 धर्म का भी कल्याण करने वाली है। अर्थ का भी कल्याण करने वाली है। मोक्ष प्रदायिनी है। वहाँ का जो वातावरण है वो आपको एक पेहलु में अच्छा मिलेगा वहाँ धन बहुत मिलेगा आपको जैसे अगर आप जितनी यहाँ मेहनत करेंगे उतनी कम मेहनत से ही वहाँ आप कितना कमा सकते हैं? लेकिन इतना कमाने के बाद भी जो आपको रोग मिलेंगे, जो कष्ट मिलेंगे वो सारा कुछ धन लगाने के बाद भी वो रोग समाप्त नहीं हो सकता। वहाँ की धरती पे ऐसे-ऐसे जो विषैले तत्व है , ऐसे-ऐसे अदृश्य आत्मा हैं ।

00:08:42 ऐसे-ऐसे उनके प्रभाव है जो ऐसी आत्मा या भारत की धरती पर नहीं रह सकती क्योंकि हमारी जो गंगा है, जमुना है, सरस्वती है, उनके कारण भी ऐसी जो अदृश्य आत्मा है, निकृष्ट आत्मा है, उनका यहाँ आगमन संभव नहीं है तो उन्हीं के कारण ही रोगों का आगमन होता है और दिव्य शक्तियों के द्वारा ही रोगों का निराकरण होता है, तो ऐसे ये रहस्य्मय जगत है जो आधुनिक विज्ञान की पहुँच से परे है, उनकी बुद्धि से परे है।

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