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Episode 4: निष्काम भक्ति से कैसे होती है रोग मुक्ति

00:00:09 – परम पूज्य महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी नामक कल्पवृक्ष ने भारत में ही नहीं पूरे विश्व को अपनी कृपाओं से कृतार्थ किया। वेदों के शास्त्रोक्त बीज मंत्रों के प्रभाव को देश विदेश के बुद्धिजीवियों ने भी स्वीकारा । 2 मई 2011 को यूएस के न्यूयॉर्क सीनेट ने निर्विरोध प्रस्ताव पारित करके परम पूज्य महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी को सम्मानित किया।

00:00:43 – नासाउ काउंटी के असेंबली हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में सीनेट में निर्विरोध प्रस्ताव पारित करके 29 अप्रैल को ब्रह्मऋषि श्री कुमार स्वामी जी डे घोषित किया गया। इस प्रकार देश विदेशों की सांसदों ने कृतज्ञ भाव से अनेकों पुरस्कार ऐंजल ऑफ ह्यूमैनिटी, प्राइड ऑफ वर्ल्ड, हैपिनेस हेल्थ ऐंड पीस एंबेसडर अवार्ड इत्यादि से सम्मानित किया। विश्व के शक्तिशाली देशों ने अंततः बीज मंत्रों की सनातन शक्ति को स्वीकार कर ही लिया।

00:01:20 – परम पूज्य महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी केवल अध्यात्म से ही नहीं, वरन दैवव्यापश्रय चिकित्सा और अभिमंत्रित औषधियों से भी असाध्य रोगों का निवारण करते हैं जिसका आधुनिक मेडिकल साइंस के पास कोई इलाज नहीं है। परम पूज्य महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी को लोगों के चित्र देखकर रोग विश्लेषण एवं उनके समाधान हेतु ऑल इंडिया हकीम अजमल खान अवॉर्ड और बेस्ट आयुर्वेदिक फिजिशन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

00:02:03 – यह आश्चर्यजनक अद्भुत सत्य है कि केवल चित्र देखकर रोगों और समस्याओं के विषय में न केवल बताना बल्कि सहज सरल साक्षात समाधान करना। वर्ष 2002 में आस्था चैनल पर  प्रसारित कार्यक्रम आयुर्विज्ञान के रहस्य में महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने 21 वर्ष पहले ऐसा प्रत्यक्ष करके पूरे विश्व को आश्चर्यचकित किया था। यह कार्यक्रम उस समय सबसे अधिक लोकप्रिय कार्यक्रमों में 

00:02:34 – एक कार्यक्रम माना गया था। आपकी बारम्बार की माँग पर इस कार्यक्रम के मुख्य अंश यूट्यूब में प्रसारित किए जा रहे हैं।

00:02:46 – ये पत्र हमारे पास आया है, दिल्ली से हैं नीना मल्होत्रा जी का तो इन्होंने अपनी तस्वीर भेजी है, आप बताए इनकी क्या-क्या शारीरिक समस्या है?

00:02:58 – एक तो इन्हें इनकी बॉडी में आयोडीन की कमी है ।

00:03:03 – इनके जो आँखों का हिस्सा है उसमें कालापन अधिक रहता है और इनकी हड्डियों के हिस्से में भी कमज़ोरी है क्योंकि इनके जो हिप्स के हिस्से हैं इनकी फोटो में तो सिर्फ इनका चेहरा नज़र आ रहा है लेकिन उनका जो हिप्स का हिस्सा है वो ज्यादा हैवी है क्योंकि यह एक्सरसाइज भी करते हैं, डाइटिंग भी करते हैं तब भी वो हिस्सा कम नहीं होता और इन्हें हार्मोन का भी इम्बैलेंस है। हार्मोन्स की भी, क्योंकि इनकी माता को ये रोग है । माता से इनको मिला हुआ है।

00:03:32 – और पेट इनका काफी समय से साफ नहीं है और श्रम क्रिटिनाइन और प्रोटीन ये जरूर टेस्ट करा लें और T3, T4, Tsh भी ये टेस्ट करा लें और कम्पलीट हैमोग्राम भी ये टेस्ट करा लें । उसमें भी उनको प्रॉब्लम है । कुछ मैं इन्हें औषधि, एक तो इनको माइग्रेन है दर्द इनको काफ़ी रहता है और ये सोचते बहुत हैं जब ये किसी चीज़ के बारे में सोचते हैं फिर उसी के बारे में सोचते ही रहते हैं और कभी-कभी ये ज्यादा मात्रा में खा लेते हैं। कभी-कभी ये खाते भी नहीं है और पेट भी इनका पूरा साफ नहीं होता और लिवर भी इनका बढ़ा हुआ है और जो मैं इन्हें औषधि बताऊँगा तो प्रभु कृपा से ये ठीक हो जाएंगे। इनका दर्द भी ठीक हो जाएगा। इनकी टेंशन भी ठीक हो जाएगी।

00:04:12 – और ये जो सोचते हैं, बार-बार सोचते हैं इनका सिर बड़ा भारी रहता है, उससे भी ठीक हो जाएगा और इन्हें सायनोसिस भी प्रारंभ हो चुका है क्योंकि इनके फादर को ये सायनोसिस का रोग है। ये इनको इनके फादर से मिला है और ये इनके जो हिप्स का हिस्सा हेवी है और कभी-कभी इनके पैरों में दर्द होता है। ये रोग इनकी मदर ने इनको गिफ्ट में दिया है तो दोनों का इलाज में इनको बता रहा हूँ कि दोनों के रोगों से मुक्ति मिलेंगे। एक तो भिंडी के बीज, एक तरबूज के बीज, एक सीताफल के बीज, एक मैनमेस के बीज और एक

00:04:49 – तोरी के बीज, इन सभी को ये छाया में सुखा लें। धूप में न सुखाये, छाया में सुखाने के बाद इनको ये पीस लें और पीसने के बाद शहद में पोदीने का रस और अलसी का 

00:05:03 – थोड़ा सा प्रयोग कर दें। एक ग्राम का प्रयोग कर दें तो इनको मिक्स करके ये बोतल में डाल के रख लेंगे तो उसका आधा चम्मच ये सुबह-शाम प्रयोग करें तो तीन चार मंथ में ये रोग से भी मुक्त हो जाएंगे। और इन्हें किसी प्रकार का अवसाद भी नहीं होगा और ये हमेशा प्रसन्न, देखने में अच्छे लगते हैं। लेकिन ये हमेशा उदास फील करते हैं। इनके अंदर इन्फीरिओरिटी कॉम्प्लेक्स बड़ी है। ये सोचते हैं कि मैं ये कर पाऊंगी या नहीं कर पाऊंगी? कई बार ये

00:05:29 – करने में समर्थ होते हुए भी ये जो इनकी मानसिक तनाव है ये उन्हें इस कार्य में असफलता दे देता, ये सफल नहीं हो पाती तो इससे उस रोग से भी उन्हें मुक्ति मिल जाएगी तो प्रभु की कृपा से ये ठीक हो जाएंगे। अगर देखा जाए 99% प्रतिशत लोग रोगी हैं कलयुग का प्रभाव, लेकिन हम कलयुग में एक बात देख रहे हैं कि धर्म जो है वो बढ़ रहा है। क्या ये बात सही है कि धर्म में लोगों की आस्था बढ़ रही है?

00:05:55 – ऐसा है ये किसी हद तक सही भी है और किसी हद तक ये सही होने का आभास भी देता है

00:06:07 – जैसे आप आपके घर में गाय है आप गाय की बड़ी सेवा कर रहे हैं। और जो भी उन्हें अच्छे पदार्थ खाने के लिए देते हैं।

00:06:19 – लेकिन उसके पीछे आपको पता है कि यह ये मैं इन्हें अच्छे पदार्थ खिला रहा हूँ इसका कारण है कि मैं अच्छा दूध प्राप्त करूँ।

00:06:27 – अच्छा दूध मुझे मिले। तो वो गाय की सेवा नहीं है। वो आपका एक कर्म है, वो आपका एक व्यापार है, वो आपके एक साधन है।

00:06:38 – जो लोग आध्यात्मिक रूप से आज भक्ति कर रहे हैं उनके पीछे एक तो भय है क्योंकि उन्हें पता है कि समाज में जो रोग फैल रहे हैं, उनका चिकित्सा विज्ञान के पास कोई इलाज नहीं है।

00:06:54 – और वो अपनी तरफ से बुरे कर्म भी करते हैं, उनसे बचते भी हैं और वो कुछ पाना भी चाहते हैं जो बुराइ से पाया जा सकता है और उनके बुरे फलों से भी बचना चाहते हैं।

00:07:08 – जैसे एक आदमी धन भी प्राप्त करना चाहता है और चोर भी नहीं कहलाना चाहता और चोरी भी करना चाहता है तो वो भयभीत हो के फिर वो चोरी भी करेगा और मंदिर में, गुरूद्वारे में, गिरजाघर में या प्रभु का नाम लेके वो पूजा भी करना चाहेगा कि मैं उस दोष से, अभिशाप से बचा रहूँ। ये कलयुग में जो भक्ति है उसका 90% ये कारण है।

00:07:32 – क्योंकि जो लोग भक्ति कर रहे हैं वो भय से कर रहे हैं। वास्तव में आध्यात्म वो होगा कि जब आप सुखी हैं, अब आप देखो जगत में जितने सुखी लोग हैं जिनके पास साधन है।

00:07:45 – या मंत्री हैं या अमीर लोग हैं या सुन्दर लोग हैं या युवा वर्ग के लोग हैं उन्हें इस समय कोई रोग नहीं है। वो परमात्मा का नाम नहीं ले रहे। उनको लगता है कि परमात्मा का नाम लेने से क्या हम इतने सुन्दर हैं, हमारे पीछे दुनिया दौड़ रही है, हमारे पास साधन हैं हम जो चाहे प्राप्त कर सकते हैं।

00:08:04 – तो अगर वह युवा वर्ग भक्ति करे, परमात्मा का नाम ले और उन्हें कोई भय न हो, उसका नाम भक्ति है, वह वास्तव में भक्ति है लेकिन जब आदमी बूढ़ा हो जाता है 40 साल का, 50 साल का, 60 साल का अब उसे लगता है कि मेरे बच्चे भी नहीं पूछेंगे। मुझे रोग भी हो रहा है, कष्ट भी हो रहा है तो वो कहता है चलो हो सकता है परमात्मा बचा ले 

00:08:26 – परमात्मा बचाता है इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन ये सकाम भक्ति है। वो भय से भक्ति है। वास्तव में भक्ति वो है कि जब कोई आदमी को कोई रोग नहीं है, कोई कष्ट नहीं है, कोई कमी नहीं है और वो निष्काम भाव से परमात्मा का नाम लेता है। अब आपके बच्चे हैं या आपकी पत्नी है?

00:08:45 – अगर वो आपकी सेवा कर रही है और आपको वो जो आप मांगते वो दे रहे हैं आपके बच्चे तो इसका मतलब है

00:08:54 – और निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं। अगर उसे लगता है कि मेरे पिता बड़ा अमीर है, अगर मैं इनकी सेवा करूँगा तो इनके मरने के बाद यह दौलत या संपत्ति मेरी होगी या ये मुझे इतना इतना लाभ दे देगा? तो वो जो उनकी सेवा है वो वास्तव में सेवा नहीं है। वो व्यापार है, निकृष्ट कर्म है या वो सकाम कर्म है, उसे कुछ भी कहा जा सकता है।

00:09:16 – लेकिन जो वास्तव में आपका बेटा या आप अपने माता पिता की बिना कारण से सेवा कर रहे हैं

00:09:24 – वो बुजुर्ग भी हो गए हैं और उसके बाद भी, मोस्टली क्या देखा जाता है अगर जगत में देखा जाए तो जितने भी

00:09:31 – पुरुष हैं जैसे हमारे पास नौकर हैं ऐसे वो नौकरी कर रहे हैं। सारे दिन दुकान में जाएंगे, काम करेंगे, शाम को वो पत्नी को लाके देंगे। उसका एक-एक पैसे का हिसाब भी पत्नी को रखना पड़ेगा और खर्चा भी पत्नी की मर्जी से वो करेंगे तो गहराई से देखा जाए तो वो आश्रित हैं, वो नौकरी कर रहे हैं। लेकिन जो स्त्री वास्तव में पति की सेवा करेगी और निष्काम भाव से सेवा करेगी, ये सिर्फ भारत में सिखाया जाता है, लेकिन जो आधुनिक सभ्यता है

00:10:00 – जो सारे विश्व में फैला जा रहा है, वहाँ ऐसी सभ्यता, ऐसी संस्कार नहीं है। वो कहते हैं कि ये आपका पति है, अगर यह काम का है या यह पत्नी आपके काम की है तो आप इसे रखो नहीं काम की है तो आप इसको हटा दो, दूसरी ले लो जैसे हमारे पास कोई चीज़ है, वो काम की है तो रखो, नहीं काम की तो हटा दो। ऐसे ये सारे जगत में प्रचलन फैला है। लेकिन ये भारत संस्कृति ऐसी है

00:10:21 – यह पुरातन ऋषि मुनियों की ऐसी देन है जिन्हें निष्काम कर्म सिखाया गया है और निष्काम भक्ति बताई गई है और जो ये लोगो को पता नहीं है कि इस निष्काम कर्म में, निष्काम भक्ति में, कितने रोगों का अंत होता है, कितने दुखों का अंत होता है, कितना आराम मिलता है, कितनी शांति मिलती है, कभी कोई आदमी करके देखे जैसे आप सड़क पे जा रहे हैं कोई आदमी गिरा हो, आप उन्हें

00:10:47 – उठाके देखें, आप अचानक कहीं जल्दी जा रहे हो, आपको बड़ा कार्य है, कोई आदमी गिरा है, आप उन्हें उठा के देखो तो आपको जो मानसिक रूप से शांति मिलेगी वो आपको वहाँ किसी पार्टी में, किसी की तारीफ़ सुनने से या फिर शराब पीने के बाद भी वो आपको नहीं मिलेगा और जो उस आदमी के अंदर से दुआ मिलेगी या किसी आदमी का कार्य नहीं है काम नहीं चल रहा और उसे आप अज्ञात हाथों से, बिना बताए

00:11:11 – उसकी आप हेल्प करते हो, उसे आप कार्य करने के लिए देते हो, उसे कुछ सहयोग कर देते हो और सहयोग के बदले में कुछ चाहते नहीं हो या उसे जताते नहीं हो, उसे बताते नहीं हो  और आप भूल भी जाते हो तो वो आपको कितना विकास देगा, कितनी शक्ति देगा, कितने रोगों का अंत करेगा ये आपको अभी मालूम नहीं है। ये किसी को भी मालूम नहीं है। ये प्रभु के पास इसकी कुंजी है। ये प्रभु इसका ज्ञाता है प्रभु इसको जानने वाला है। तो जगत में जो आध्यात्म ,वास्तव में आध्यात्म उसे

00:11:40 – कहा जाएगा कि जब आप स्वस्थ हैं, निरोग हैं, आपको कोई कष्ट नहीं है और आपके पास खूब धन है, साधन संपन्न हैं और फिर आप प्रभु का नाम ले रहे हैं । उसका नाम भक्ति है । वो वास्तव में भक्ति है। अगर आप भय से कर रहे हो, डर से कर रहे हो, मुक्ति प्राप्त करने के लिए कर रहे हो, धन प्राप्त करने के लिए कर रहे हो, रोग से मुक्त होने के लिए कर रहे हो तो ये भक्ति नहीं है। ये भक्ति का

00:12:06 – नाम देना ठीक नहीं है ये व्यापार है या इसे सकाम भक्ति भी श्रीकृष्ण भगवान ने हमारे पर करुणा करने के लिए इन्हें सकाम भक्ति का नाम दे दिया क्योंकि हमारे दिल को चोट न लगे लेकिन है यह व्यापार, जो लोग भय से भक्ति करते हैं।

00:12:23 – उनका बार-बार जन्म होता है और अच्छे कुल में जन्म होता है। लेकिन जो सकाम भाव से, निष्काम भाव से, जो सकाम भाव से करेंगे उन्हें सकाम भाव का फल होगा क्योंकि श्रीकृष्ण भगवान ने गीता में वो बोला है जो अर्जुन की समझ में आ सकता है वो अर्जुन के लिए बोला है।

00:12:42 – अगर आज कृष्ण भगवान बोलेंगे और अगर आज अर्जुन होगा तो कृष्ण भगवान कुछ और बोलेंगे क्योंकि आज का जो मानव है और उस समय का जो मानव है, उसमें काफी परिवर्तन है और कृष्ण भगवान के टाइम में भी कंस था राम के टाइम में भी रावण था। उस समय भी अंधकार था। उस समय भी सूर्य था। ये जो भी है, अब सोमवार को भी अंधेरा होता है। सोमवार को भी प्रकाश होता है। सोमवार को भी हवा आती हैं। मंगलवार को भी हवा आती है ऐसे युगों का जो, जैसे सोम, मंगल, बुध नाम है। ऐसे युगों का भी नाम है जितने पाप जितने, ऐसा पृथ्वी पर कोई समय आया ही नहीं है कि जब सदा अच्छे-अच्छे लोग रहे हों

00:13:23 – और ऐसा भी कोई समय नहीं आया कि जब बुरे-बुरे लोग रहे हों, ऐसा पृथ्वी पर संभव हुआ भी नहीं और होगा भी नहीं। हाँ जब पृथ्वी का लोप हो जाएगा, ये सारा सागर में विलीन हो जाएगी प्रभु में लीन हो जाएगी तब वो गुणातीत हो जाएगी तब वो गुणों से ऊपर हो जाएगी। तब अच्छे-बुरे हो एक जाएंगे । जब तक हमारी दृष्टि को कुछ नजर आ रहा है, दृश्यमान जगत  है, इन्द्रियों का ये जो जगत है ।

00:13:45 – ये अच्छे और बुरे से बना हुआ है और ये जो भक्ति है ये भी अच्छे-बुरे से लेकर बनी हुई है। अगर आप साधारण रूप से माता पिता की, पत्नी की, बच्चों की या पड़ोसी की निष्काम रूप से सेवा करते हैं। अगर आपकी पत्नी निस्वार्थ भाव से, निष्काम रूप से आप की सेवा करती है, जो स्त्री अपने पति की निष्काम रूप से सेवा करेगी, उसे कभी आर्थराइटिस नहीं होगा, उसे रूमेटिज़्म नहीं होगा। उन्हें जोड़ों का दर्द नहीं होगा और जो भी स्त्री को कष्ट हो रहा है उसने जाने या अनजाने पति को दुख दिए हैं। ऐसा धर्म ग्रंथों ने कहा है । अगर किसी स्त्री को रोग हो रहा है तो जाने-अनजाने उसने पति को पीड़ा दी है। पति ने उसको सहन कर लिया।

00:14:26 – अगर पति उसको व्यक्त कर देगा तो उसके रोगों का उतना प्रभाव नहीं होगा। तो ऐसे-ऐसे स्त्रियों को रोग हुए हैं जो हमारे धर्म ग्रंथों में कहे है। कुछ रोग हमारे ऐसे है, हमारे पास गलत धन जाता है, हम किसी का दिल दुखा देते हैं, जाने-अनजाने किसी को पीड़ा दे देते है उसके करके हमें पीड़ा भुगतनी पड़ती है। हमारे सारे रोगों का कारण ये कर्मों की श्रंखला है।

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