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Episode 1: ज्योतिष और आयुर्वेद में रोग विश्लेषण

00:00:24 – यह आश्चर्यजनक अद्भुत सत्य है कि केवल चित्र देखकर रोगों और समस्याओं के विषय में न केवल बताना बल्कि सहज सरल साक्षात समाधान करना।

00:00:35 – वर्ष 2002 में आस्था चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम आयुर्विज्ञान के रहस्य में महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने 21 वर्ष पहले ऐसा प्रत्यक्ष करके

00:00:49 – पूरे विश्व को आश्चर्यचकित किया था। यह कार्यक्रम उस समय सबसे अधिक

00:00:55 – लोकप्रिय कार्यक्रमों में एक कार्यक्रम माना गया था।

00:00:59 – आपकी बारम्बार की मांग पर इस कार्यक्रम के मुख्य अंश यूट्यूब में प्रसारित किए जा रहे हैं।

00:01:09 – ये है कोलकाता की उमा, इनकी डेट ऑफ बर्थ है 21-9-87।

00:01:14 – समय है इनका संध्या का 7:30 बजे,

00:01:16 – क्या आप बताना चाहेंगे कि इस बालिका को क्या-क्या रोग है ?

00:01:20 – इस बालिका को एक तो मिर्गी रोग है और बचपन में इसे पांडु रोग, पीलिया रोग हो गया था और इसे मूत्रावरोध भी है। इसका लीवर भी ठीक नहीं है और इसके पेट में भी ई हिस्टोलिटिका है। अगर ये मेहंदी के पत्ते 3 दिन सूंघे और मैनमेस 

00:01:37 – और अश्वगंध की जड़ को ये रात को भिगो दें और सुबह उसे पीसकर चौथाई चम्मच शहद के साथ सुबह शाम लें तो एक हफ्ते में इस रोग से इनको मुक्ति मिलेगी । इसके कारण क्या है? इसके कारणों में एक तो ग्रह की स्थिति है, इनके ग्रह की स्थिति ठीक नहीं है।

00:01:54 – दूसरा इनकी माता को भी ये रोग थे। हेरिडिटरी भी कुछ चीज़ें होती है और तीसरा इनके खाने में सफाई की कमी है। अगर ये खाने में सफाई भी रखें और तीसरा इनके मस्तिष्क में भी विकार है। पढ़ने में भी इनका मन नहीं लगता पढ़ते हैं तो उनको याद नहीं होता तो ये अश्वगंध की जड़ को जैसे मैंने उपचार में बताया है ये इसको करेंगे तो ये ठीक हो जाएंगे। जो ग्रहों की स्थिति चल रही है किसी व्यक्ति की जो उसकी कुंडली का उल्लेख आता है, जो नक्षत्रों की स्थिति है, क्या उसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है? अगर हमारे नक्षत्रों

00:02:27 – की कैसी स्थिति है? ग्रहों की कैसी स्थिति है तो इसीका ही हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ रहा है। हम जो खा रहे हैं पी रहे हैं, चल रहे हैं, जा रहे हैं। हमारा जो जीवन है मृत्यु है, हमारा जो विद्या है, अध्ययन है, विकास है, विनाश है, दुख है, सुख है, ये ग्रहों पे ही निर्धारित है। आयुर्वेद और ग्रह एक ही मिलकर दो बने हैं।

00:02:49 – आयुर्वेद और नक्षत्रों की स्थिति में यह भिन्न-भिन्न नहीं है, जो आचार्य ये मानते हैं जो आचार्य आयुर्वेद और ग्रहों को अलग-अलग मानती है या ग्रहों की स्थिति को नहीं जानते, केवल आयुर्वेद को जानते हैं। वो आयुर्वेद के पुर्णङ्गों को नहीं जानते । आयुर्वेद के पूर्ण स्थिति को नहीं जानते और जो ज्योतिषाचार्य आयुर्वेद को नहीं जानते हैं वो भी अर्धांग को जानते हैं पूर्णांग को 

00:03:10 – नहीं जानते अगर कोई आचार्य आयुर्वेद को जानेगा और आयुर्वेदाचार्य ज्योतिष को जानेगा तो ये पूर्ण विज्ञान होगा। जैसे ये कहा जाता है कि आयुर्विज्ञान में जो पहलू हैं, उसमें ज्योतिष भी शामिल होता है और आध्यात्मिक ज्ञान भी शामिल होता है तो आखिर इसके पीछे कारण क्या है? मूल रूप से देखा जाए तो जो सृष्टि का कर्ता है वो एक है।

00:03:32 – एक के बाद तीन की उत्पति हुई, जिसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश का नाम दिया जाता है। इसे ही विज्ञान में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन का नाम दिया जाता है और इसे ही वात-पित्त-कफ का नाम भी दिया जाता है। तो अगर किसी आदमी का वात-पित्त-कफ बैलेंस है, उसकी स्थिति बराबर है, सही दिशा में वो जा रहा है तो उसे कोई रोग नहीं होगा। इनकी स्थिति में जब परिवर्तन आता है तभी हमारे शरीर में विकार होते हैं, रोग होते हैं और ये ग्रहों के कारण भी होता है और हमारे खाने पीने के व्यवहार में कमी होने के कारण भी होता है।

00:04:05 – और सही स्थिति में उपचार न होने से भी ये होता है। ये हैं बिहार की निहारिका नूपुर ये किस-किस रोगों से ग्रस्थ हैं ?

00:04:14 – एक तो इनको कण्डु रोग इसे बोलते है, जिसे सिर्फ शारीरिक विकास होगी। एलर्जी हो गई और इसके।

00:04:22 – शरीर में एक तो भूख की कमी रहती है। अरुचि भी इसे होती है और यह जो भी खाती है उसे डाइजेस्ट नहीं होता और इसे फ्यूचर में किडनी की प्रॉब्लम होने की संभावना है और इसे साइनोसाइटिस भी है। ये नासिका में जब स्वांस लेती है, इसे सांस लेने में भी प्रॉब्लम आती है और इनकी माताजी को आर्थराइटिस है, जोड़ों में दर्द है। तो ये भी जब सीढ़ियों पर  उतरती चढ़ती है तो इसे भी जोड़ों में कभी कभी दर्द होता है और इसके कमर में भी दर्द होता है और इसे माइग्रेन की भी तकलीफ है। उस दर्द के लिए जो वो औषधि खाती है उससे इनको एसिडिटी होने लगती है ।

00:04:59 – तो अगर ये काला नमक और काली मिर्च दोनों को बराबर मिला के शीशी में ढक के रख लें और उसका चौथाई चम्मच सुबह शाम लें तो एक मंथ में इसका रोग समूल नष्ट हो जाएगा। क्या ये बात सही है कि जो पेरेंट्स के रोग की स्थिति होती है, बच्चों पर इसका प्रभाव पड़ता है? हाँ, जब पैरेंटस के उनका हद है, उनकी कद है, उनकी हाइट है और उनका जो

00:05:22 – शुगर है, उनके दामा हैं, उनका रंग है, उनके शरीर का रूप है, आकार है जब वो हमारे माता पिता से मिलते हैं, उनकी आँखें हैं, उनकी नाक है, उनके कान है तो कुछ ऐसे रोग हैं जो पैतृक है।

00:05:38 – तो जब माता पिता से हमारा रंग रुप मिलता है तो रोग भी हमें माता पिता से मिलते हैं। वातावरण से भी मिलते है, ग्रहों से भी मिलते है और कर्मों से भी मिलते हैं।

00:05:49 – ये इसमें नि:संदेह इनका हाथ है। तो क्या आप निहारिका का चित्र देखकर उसकी माता जी और पिता जी का भी विवरण दे सकते हैं ।

00:05:57 – हाँ दे सकते हैं। वो कैसे ?

00:05:59 – क्योंकि बच्चा और माता पिता एक होते हैं। कहीं गहरे में देखा जाए तो ये चंद्रमा है और तारे हैं। हमें अलग-अलग लगते हैं लेकिन अगर आप आंतरिक गहराई में जाएंगे तो चन्द्रमा और तारे और सूर्य ये अलग-अलग नहीं है। चंद्रमा सूर्य से लेता है, तारे चंद्रमा से लेते है। ऐसे एक-एक ग्रह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

00:06:22 – देखा जाए। अध्यात्म की दृष्टि से भी वैज्ञानिक और विज्ञान की दृष्टि से भी हम सब एक हैं और एक से हमारी उत्पत्ति हुई है और अगर हम कलेक्टिव के अंदर चले जाएंगे जैसे हम रात को निद्रा में सोते हैं, जैसे हमारी अभी जागृत अवस्था है, स्वप्नावस्था है, तुरीयावस्था है तो तुरीयातीत अवस्था में हम एक हो जाते है तो उस जो एक स्थिति है उसमें अगर वास्तव में देखा जाए तो सारा जगत ही हम एक हैं हम सारे संसार ही एक है।

00:06:51 – लेकिन बाहरी रूप से देखा जाए तो जो माता पिता की स्थिति है, काफी मात्रा में बच्चे के अंदर वो स्वभाव भी आएगा, वो रोग भी आयेंगे, वो गुण भी आएँगे, वो अवगुण भी आयेंगे।

00:07:07 – जोड़ों का दर्द है गूगल, आम मिल जाती है सब जगह।

00:07:11 – गूगल, बड़ी इलायची, छोटी इलायची, काली मिर्च, पुराना गुड़, विधारा की जड़, वज्र भस्म 1 ग्राम, स्वर्ण भस्म चौथाई ग्राम

00:07:24 – और अगर कहीं वीहर बूटी मिल जाए कम मिलती है उसको एक ग्राम मिला लें।

00:07:32 – और बेरी गेट केना का पत्ता होता है उसको मिला लें और सालमपंजा जो जोड़ों के दर्द में।

00:07:41 – ल्यूब्रिकेशन बनाता है। इसको मिलाकर बराबर बराबर भाग।

00:07:46 – चौथाई चम्मच सुबह शाम लें ।

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2 Comments

  • Rakesh Kumar February 4, 2024

    Muje bhi path Krna hai kirpa kro gurudev ji 🙏

  • Rakesh Kumar February 4, 2024

    Muje path chahiye,kirpa kro gurudev 🙏🙏

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