मां की योनि से ही सारा ब्रह्माण्ड उत्पन्न हुआ है। भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश सभी देवी-देवता सूरज, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, आकाश, वायु, जितने भी जीव-जंतु हमें दिखाई देते हैं, ये सभी पवित्र योनि से ही उत्पन्न हुए हैं। मां की योनि बहुत पवित्र है। जितने भी साधु, संत, सिद्ध साधक, तांत्रिक-मांत्रिक हैं वे सभी मां कामाख्या की योनि की पूजा करते हैं। इसके बाद ही वह मां के अन्य स्थानों पर पूजा के लिए जाते हैं। महाब्रह्म मां काली का बीज है और उस बीज की उत्पत्ति मां की योनि से ही होती है-
हे काली! ला खप्पर खाली
पी भैरव का पैमाना।
भूत-प्रेत बैताल पिशाचों
को तुम कर दो दीवाना ।
नर कंकालों को जीवित कर
मरघट को कर दो खाली
मंदिर के बंदी गृह छोड़कर
पा स्वतंत्र मयखाना।
परम पूज्य सद्गुरुदेव जी ने कहा कि काली मां से साधक आग्रह करता है कि हे मां, अपना खप्पर खाली लेकर आ। इसका आशय काली मां से है जिसके बीज से समस्त परा और अपरा प्रकृति का प्रकटन हुआ है और यह खप्पर समस्त ब्रह्माण्ड है, आकाश है। काली और खप्पर का विस्तृत आयाम है, सृष्टि से पहले अंधकार स्वरूपा महाकाल रात्रि थी उसने अपने खप्पर से समस्त जीव-जंतुओं को उत्पन्न किया जो कंकाल रूप में, उनमें फिर अपरा प्रकृति का प्रयोग करके मां ने शरीर का रूप दिया और उसके बाद उनको परा के द्वारा जीवन का रूप दिया। मां काली के बीज से ही समस्त सृष्टि उत्पन्न हुई। मनुष्य उत्पन्न हुए, स्त्री-पुरुष उत्पन्न हुए। इन शरीरों में “विकार उत्पन्न हो गए। यहां पर यह कहा गया है कि हे मां! हमारे इन खप्पर रूपी शरीरों में विकार उत्पन्न हो गया है, तुम इन्हें खाली कर दो। हे ब्रह्माण्ड को बनाने वाली काली, हमारे इस खप्पर रूपी कपाल को खाली कर दो। यह विकारों से भरा हुआ है। करोंड़ों- रोड़ो जन्मों के विकार इसमें भरे हुए हैं। करोड़ों योनियों की गंदगी इसमें भरी हुई आप इसे तोड़ दो और फिर सफाई करके छोड़ दो ताकि हे मां, हम आपके स्वरूप का दर्शन कर सकें, आपका पाठ कर सकें, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, वासना आदि से मुक्त हो सकें। हे मां आपसे विनय है क्योंकि हमारा सारा शरीर एक कपाल की तरह है हम मात्र कंकाल हैं। इसकी सारी गंदगी को निकाल दो। आपसे अनुनय, विनय है कि यह हमारा खप्पर खाली कर दो।
-प्रभु कृपा पत्रिका,जून,2024
🥹🙏🙏✨🌸 pranam Sadhguru dev🙏✨🌸 bahut bahut dhanya aur atyant saubhagyashali hain hum aapki kripa Hume mili hai 🥹🙏✨🙇
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