गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, क्या आयुर्वेद और अध्यात्मिक जगत में स्वर्ण व वज्र भस्म का क्या महत्व है? ऐसा कहा जाता है कि इन दैवीय भस्मों के प्रयोग से मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है, कृपया इस विषय में मार्गदर्शन करें?
परम पूज्य गुरुदेव : यह अति कल्याणकारी प्रश्न है। भारतीय चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेद में स्वर्ण व वज्र भस्म का विशेष महत्व है। भारतीय मनीषियों ने स्वर्ण व वज्र भस्म का प्रयोग केवल चिकित्सा में नहीं वरन अध्यात्म के क्षेत्र में भी किया। इन दैवीय भस्मों की शक्तियां अनूठी और अतुलनीय हैं। स्वर्ण व वज्र भस्म सचमुच वज्र की तरह कार्य करती हैं। इस वज्र का प्रयोग करने से व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दुबर्लताएं नष्ट हो जाती हैं। स्वर्ण भस्म अपने नाम के अनुरुप व्यक्ति को बाहरी और भीतरी आभा प्रदान करती हैं। इसी प्रकार वज्र (हीरा भस्म) भस्म व्यक्ति के शारीरिक, भौतिक और मानसिक स्तर को हीरे की भांति निखार देती है।
स्वर्ण व हीरे को शक्तियों का स्त्रोत माना गया है। इन दोनों तत्वों की समृद्धता केवल बाहरी प्रारूप तक सीमित नहीं है, मनुष्य के भीतर यदि इन दोनों तत्वों का समावेश हो तो जीवन पूर्णतः निरोगी, स्फूर्तिदायक और शक्तिशाली बन जाता है। इस तथ्य का साक्षात्कार हमारे ऋषि, मुनियों, आयुर्वेदाचार्यों और राजा महाराजाओं ने समय-समय पर किया है। विश्व के अनेक देशों में स्वर्ण व वज्र भस्म के गुणों को लेकर अनेक प्रकार के अनुसंधान किया गए हैं। दिव्य भस्में बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करती हैं, शरीर को शक्ति देती हैं और मनुष्य के जीवन में आने वाली हर प्रकार की दुर्बलताओं को मिटाती हैं।
इन दिव्य भस्मों के प्रयोग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से हमारा शरीर अनेक प्रकार के रोगों से लड़ने की शक्ति ग्रहण कर लेता है। स्वर्ण व वज्र भस्म का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भीतर से इतना मजबूत हो जाता है कि शारीरिक दुर्बलताएं उससे दूर भाग जाती हैं। इन भस्मों से एलर्जी, वात रोग, पित्त रोग, पेट के रोग, शारीरिक कमजोरी के रोग, रक्त, मज्जा व हड्डी के रोग आदि व्याधियां दूर हो जाती हैं। स्वर्ण भस्म का प्रयोग दिल व दिमाग को ऊर्जा प्रदान करता है और रक्त के प्रवाह को संतुलित करता है। नेत्र और यौन दुर्बलता समाप्त हो जाती है।
स्वर्ण व वज्र भस्म मानसिक रोगों के लिए रामबाण औषधि है। दिमागी कमजोरी, स्मरण शक्ति के रोग, मानसिक थकावट आदि व्याधियां इन भस्मों के प्रयोग से समाप्त हो जाती हैं। भौतिक जगत की आपाधापी के कारण होने वाले तनाव, मानसिक असंतुलन और थकान को स्वर्ण व वज्र समाप्त कर देते हैं। इन अनूठी भस्मों के प्रयोग से दिमाग व स्मरण शक्ति में अनायास वृद्धि होने लगती है। मानसिक, बौद्धिक और तकनीकी कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए स्वर्ण व वज्र भस्म का प्रयोग अत्यंत लाभकारी है।
इन भस्मों से शारीरिक और मानसिक संजीवनी तो मिलती ही है साथ ही भौतिक समृद्धि भी प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति चंदन, गूगल, लोबान और ऊद के साथ स्वर्ण व वज्र भस्म का मिश्रण कर एक मंत्र का जाप करे तो मां लक्ष्मी की अद्भुत कृपा उसे प्राप्त होती है। (इस मंत्र को आप केवल सद्गुरु जी की कृपा से ही प्राप्त कर सकते हैं।)
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