गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, शास्त्रों में सूर्य कवच के बारे में बड़ी चर्चा मिलती है। सूर्य कवच कैसे धारण किया जाये तथा इसके धारण करने से क्या लाभ है?
परम् पूज्य गुरुदेव : सूर्य कवच धारण करने के पूर्व अर्थात् सबसे पहले आप “ॐ गुरुवे नमः’ का 11 बार उच्चारण करेंगे। उसके पश्चात् जो आपके गुरु हैं, ईष्ट हैं उनका सिमरण करेंगे। तत्पश्चात् आप ‘गणेशाय नमः’ का 11 बार उच्चारण करेंगे। उसके बाद कवच का पाठ करेंगे तो थोड़े ही दिनों में देखेंगे कि भगवान सूर्य का कैसा अनुपम चमत्कार आपके जीवन में हो रहा है। आप हैरान रह जायेंगे कि बड़ी से बड़ी विद्या ग्रहण करने के पश्चात् हम जो इस संसार में वे सफलता नहीं पा सके थे, वह मात्र सूर्य कवच पढ़ने से ही पूर्ण हो गये। तब आप सूर्य की महिमा को महसूस करेंगे।
वैज्ञानिक सूर्य को एक आग का गोला मात्र मानते हैं जबकि आध्यात्मिक तल के अनुसार जो सूर्य तत्व को जानने वाले हैं, वह किसी भी तरह से कुछ भी कर सकते हैं। सिर्फ 40 दिन सूर्य कवच धारण करने से आप पायेंगे कि शरीर में एक अलग तरह की आभा आ गई है। आपके शरीर को चारों तरफ से किरणों ने घेर लिया है।
अगर कोई व्यक्ति 140 दिन सूर्य कवच धारण करके किसी शेर के पास बैठ जाएगा तो ऐसे व्यक्ति का शेर भी भक्षण नहीं कर पाएगा, ऐसी सूर्य कवच की महिमा है। भगवान् रामचंद्र के पुत्र लव-कुश शेरों के साथ खेलते थे, शेर के मुँह में उंगली डाल देते थे, फिर भी शेर कुछ नहीं करता था क्योंकि भगवान बाल्मीक ने दोनों बच्चों को बचपन से ही सूर्य कवच की महिमा बताई थी और लव – कुश नित्य सूर्य कवच पढ़ते थे। इस सूर्य कवच को पढ़ने से ही लव-कुश में अथाह शक्ति का संचार हो गया था। यही कारण है कि लक्ष्मण, शत्रुघ्न, हनुमान आदि अविजित होते हुए भी लव-कुश के हाथों हार गये थे, ऐसी है भगवान सूर्य की कृपा।
Post A Comments