गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, विभिन्न दिवसों का वैज्ञानिक महत्व क्या है जैसे कि कहा जाता है कि मंगलवार और शनिवार को अगर कोई विशेष गतिविधि अपनाई जायेगी तो अधिक फल मिलेगा। भगवान हनुमान जी भगवान शनिदेव जी ईश्वर के रूप में माने जाते हैं तो हम इन्हें दिवस में कैसे बाँध सकते हैं ?
परम पूज्य गुरुदेव : भगवान बजरंग बली, भगवान शनिदेव मंगलवार के अधिष्ठाता हैं। सूर्य प्रतिदिन समान रूप से प्रकाश देता है, पेड़-पौधे समान रूप से हवा देते हैं, ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, यह पाश्चात्य संस्कृति पर आधारित है। जनवरी, फरवरी, मार्च यह विदेशी संस्कृति पर आधारित है और विदेशी संस्कृति में कहीं भी देवी-देवताओं का स्थान नहीं है। वह किसी आध्यात्मिक शक्ति एवं देवी-देवता को आधार मानकर नहीं चलते हैं। वह नहीं मानते हैं कि किसी जनवरी का कोई देवता है। जैसे हम देखते हैं कि हमारे देश या विश्व में कहीं भी अस्पताल बन रहा है या सड़कों का निर्माण हो रहा है, हवाई जहाज बन रहे हैं, रेलें चल रही हैं, बसें चल रही हैं। आम लोग यह सोचते हैं कि यह किसी व्यक्ति ने बनाया होगा परंतु हमारे देश अथवा समूचे विश्व में अलग-अलग विभाग के अलग-अलग मंत्री होते हैं। उसी तरह यह जो वार हैं, इनके भी अलग-अलग देवता हैं। जैसे सोमवार के भगवान शिव है, मंगलवार के भगवान बजरंगबली हैं।
जो व्यक्ति मंगलवार को मांस-मदिरा का उपयोग करता है, मंगलवार को नाई के पास जाकर बाल कटवाता है तो अगर वह अपने शरीर की जाँच करवायेगा तो देखेगा कि उसका इ एस आर उसी दिन से हाई हो गया है और उसके शरीर में कैल्शियम पैंथोनेट की कमी हो गई है इसके साथ-ही-साथ उसे एलर्जी जैसा रोग हो जायेगा। अगर कोई व्यक्ति शनिवार या मंगलवार को तेल को अपने शरीर पर लगाता है तो उसे एलर्जी होगी, त्वचा के रोग होंगे। जो व्यक्ति रविवार के दिन नौशादर का उपयोग करेगा या कैल्शियम का प्रयोग करेगा उसके शरीर में वह पदार्थ जायेगा।
जिस प्रकार भगवान् बुद्ध, महावीर या बड़े-बड़े नेताओं के जन्म दिवस हैं। ठीक उसी तरह इन देवी देवताओं के भी दिवस होते हैं। ये इन दिनों के मालिक होते हैं, अधिष्ठाता होते हैं। ये वहाँ उस दिन उपस्थित होते हैं। अगर कोई व्यक्ति शनिवार के दिन काला वस्त्र पहनेगा तो उसे कभी एलर्जी नहीं होगी, रूमाटिज्म नहीं होगा, उन्हें कष्ट कारक तत्व नहीं होंगे। अगर कोई व्यक्ति मंगलवार के दिन पीले वस्त्रों को पहनता है तो उसे नाना-नाना प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इसी तरह अलग-अलग देवी-देवताओं के अलग-अलग रंग हैं, खाद्य पदार्थ हैं। जैसे शुक्रवार को अगर कोई खट्टी चीज खायेगा तो उसका पेट खराब हो जायेगा। अगर व्यक्ति देवी-देवता के विधान को समझकर, उस ढंग से अपने जीवन में प्रयोग करेगा तो उसे किसी भी प्रकार के रोग नहीं होंगे। अगर कोई व्यक्ति सोमवार के दिन दाल-चावल-सब्जी एक साथ खायेगा तो उसे रूमाटिज्म प्रारंभ होना शुरू हो जायेगा। अगर वही व्यक्ति बुधवार को ऐसा भोजन करता है तो उसका रूमाटिज्म खत्म हो जायेगा। अगर कोई व्यक्ति सोमवार के दिन काले वस्तु का उपयोग करता है तो उसके शरीर में थाईमिन हाईड्रो क्लोराइड की कमी हो जायेगी। अगर कोई व्यक्ति बुधवार के दिन पालक-पनीर का सेवन करता है तो उसे किडनी स्टोन हो जायेगा। इस विज्ञान को समझने के लिए काफी मशक्कत की आवश्यकता है, काफी समय की आवश्यकता है क्योंकि किस-किस व्यक्ति का जन्म दिवस क्या है, उसे कौन-कौन से रंग के वस्त्र पहनने चाहिए अथवा कौन-कौन से दिन में क्या-क्या खाना चाहिए, किस दिशा में कौन-कौन से दिन जाना चाहिए, इन सभी का ध्यान रखकर ही विभिन्न प्रकार के कष्टों से बचा सकता है।
गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, अगर हम भगवान शनिदेव का पूजन सोमवार, मंगलवार, बुधवार को करते हैं तो क्या इस पूजन का वह महत्व नहीं होगा जो शनिवार के दिन पूजन करने से होता है ?
परम् पूज्य गुरुदेव : यह प्रश्न मानव कल्याण के लिए बहुत ही सारगर्भित प्रश्न है। जैसे सभी नदियां सागर में मिलती हैं। ठीक उसी तरह समस्त देवी-देवता का प्रादुर्भाव प्रभु से है। जिन ऋषि-मुनियों ने गहरी साधना करके, तपस्या करके ज्योतिष शास्त्र का निर्माण किया, अनेक ग्रंथों का निर्माण किया है। उन ग्रंथों के अनुसार पूजन करने के कुछ विधि-विधान हैं। ऋषि-मुनियों ने देवी-देवताओं की तपस्या करने, साधना करने, पूजन करने के बाद ये नियम बनाए। क्योंकि ऋषि-मुनि इन देवी-देवताओं के महत्व को जानते हैं। जैसे कुंभ के मेले हैं। बाहरी रूप से वैज्ञानिक यह समझेंगे कि इस समय स्नान करने से कोई फायदा नहीं है जबकि संत-महात्मा जानते हैं कि इन दिनों में कितने देवी-देवता यहाँ विराजमान होते हैं। इसी प्रकार दिन एवं स्थान का भी महत्व है। इन दिनों अगर कोई कुंभ स्नान करता है तो उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
इसी तरह मंगलवार का जो दिन है वह बजरंगबली का है। जिन ऋषि मुनियों ने भगवान बजरंगबली को जाना है, उनके शरीर कांप जाते हैं। उन्हें ऐसे-ऐसे प्रकाश दिखाई देते हैं कि उनका सूक्ष्म शरीर प्रकाशमय हो जाता है। कुछ चीजों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं जाना जा सकता है। उदाहरण स्वरूप भगवान राम ने रावण को मारने के लिए एक नियत समय की प्रतीक्षा की, भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के उपयुक्त समय की प्रतीक्षा की। उसी तरह उपयुक्त समय में ही पूजन करना चाहिए। वैसे सच यह भी है कि भगवान शनिदेव की किसी भी दिन पूजन करेंगे तो भगवान शनिदेव उतना ही फल देंगे, परन्तु शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
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