यह सृष्टि विकार सहित है। बिना विकारों के यह गतिशील नहीं हो सकती। हमारे ऋषि-मुनियों ने विकारों को सुन्दर संज्ञा प्रदान की है। संसार में जितने भी कर्म होते हैं, उन सब में विकार होता है। यदि विकार न हो तो सृष्टि का चक्र चल ही नहीं सकता। जो भी इस पृथ्वी पर जन्म लेता है या उत्पन्न होता है वह नष्ट अवश्य होता है। इसलिए इस पृथ्वी को मृत्युलोक भी कहा जाता है। क्षरण होना हर पदार्थ का गुण है। काम, क्रोध, लोभ, मोह ये पांच प्रकार के विकार मनुष्य के अंदर अवश्यंभावी होते हैं। जब काम उत्पन्न होता है तो संतान वृद्धि होती है। संतान के मोह उत्पन्न होता है। इस मोह के वश में होकर मनुष्य अर्थ की तरफ दौड़ता है अर्थात् अत्यधिक धन कमाना चाहता है। मकान बनाता है, धन जोड़ता है और सुख-संपदा एकत्रित करने का प्रयास करता है। जब उसका यह मकसद पूरा नहीं होता तब उसे क्रोध आता है। जब मनुष्य को धन-संपदा के साथ संतान सुख मिलता है, ऐश्वर्य – कीर्ति, पद-प्रतिष्ठा मिलती है, तब उसे मद हो जाता है अर्थात् घमंड हो जाता है। इन विकारों को भी हमारे ऋषियों-मुनियों ने अत्यंत सुन्दर प्रारूप बताया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन को कहा कि हे अर्जुन मोक्ष तक पहुंचने का मार्ग-धर्म, अर्थ व काम है। अर्थात् धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष यही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। पहले मनुष्य धर्म को जाने, फिर अर्थ अर्जित करते हुए काम को अपनाए और तत्पश्चात् मोक्ष की तरफ अग्रसर हो जाए। इस मनुष्य शरीर के लिए देवता भी तरसते हैं। इसका कारण केवल एक ही है कि इस मनुष्य शरीर के द्वारा ही मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। हमें इस मनुष्य शरीर की कद्र करनी चाहिए जो 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के पश्चात ही प्राप्त होता है। इस दुर्लभ योनि में प्राप्त तन को स्वच्छ रखना चाहिए क्योंकि यदि तन स्वस्थ है तब ही प्रभु का नाम स्मरण किया जा सकता है। पहला सुख निरोगी काया होता है अतः इसमें रोग उत्पन्न न हों, इसका हमें ख्याल रखना पड़ेगा। तन के साथ-साथ अंदर की स्वच्छता भी बहुत जरूरी होती है। हमारा अंतर्मन भी साफ होना चाहिए। जिस प्रकार तन पर रोग न हो उसी प्रकार हमारा मन भी रुग्ण न हो अर्थात् कुत्सित विचारधारा वाला न हो। यही स्थिति मनुष्य को मोक्ष तक पहुंचने की यात्रा में सहायता प्रदान करती है। आज जो पाठ मैं आपको प्रदान कर रहा हूं वह तन के साथ-साथ मन को भी स्वच्छ बनाता है। (मोहड़ी समागम)
–प्रभु कृपा पत्रिका,जनवरी, 2019
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