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समय और औषधि

गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, रोग के लिए समय तथा औषधि का क्या संबंध है? आपने एक बार उल्लेख किया था कि अमुक औषधि तोड़ने के लिए अमुक समय जरूरी है। इसके पीछे क्या रहस्य है?

परम् पूज्य गुरुदेव : अगर किसी व्यक्ति का जन्म का दिन, दिशा, समय तथा स्थान का पता लग जाये तो उसी से उस व्यक्ति का सारा व्यक्तित्व पता लग जायेगा कि उस व्यक्ति का काम होगा अथवा नहीं होगा। आप किस समय में किस दिशा में जा रहे हैं, उससे पता लग जायेगा कि आपको सफलता। मिलेगी कि नहीं मिलेगी। इसी तरह औषधि के भी तोड़ने का समय होता है। अगर आपने गलत समय में औषधि तोड़ ली है तो वह आपको हानि कर जायेगी। जैसे ज्योतिष शास्त्र के आधार पर जन्म समय से ही उस बच्चे का भविष्य जाना जाता है। जैसे कोई अपने माँ के पेट से निकलता है तो उसका जन्म माना जाता है। ठीक उसी तरह जब वृक्ष से पत्ते टूटते हैं तो वह उसका जन्म माना जाता है।। वह मानव के शरीर में आकर नया जन्म ग्रहण करता है।

औषधि को किस समय में तोड़ना चाहिए, किस भाव दशा में तोड़ना चाहिए, किस अवस्था में तोड़ना चाहिए, यह सारा उसी तरह से है जैसे हमारा चलना, हमारा जाना, हमारा घर से निकलना, किसी नये कार्य को करना है या शुभ मुहूर्त में कार्य करना है। इसके जैसे नियम हैं ठीक उसी प्रकार औषधि तोड़ने के भी नियम हैं। अगर आप कोई गलत समय में मुहूर्त करेंगे तो वह असफल हो जायेगा तथा जो असंभव कार्य हैं, अगर उसे सही समय पर करेंगे तो वह सहज हो जायेगा। यह चिकित्सक को भी देखना चाहिए कि वह किस मुहूर्त में रोगी को दवाई दे रहा है। उस मुहूर्त का क्या उपयोग है तथा उसमें किस दवाई का सेवन करना चाहिए।

यह हजारों में किसी एक आयुर्वेद के चिकित्सक को मालूम है कि जनवरी के महीने में चन्द्रप्रभा बूटी तथा महाराज गुग्गल रोगी को नहीं दी जाती है। इस दोनों औषधि को अगर कोई चिकित्सक किसी रोगी को जनवरी माह में देगा तो वह औषधि काम नहीं करेगी। इसी तरह गुलदावरी बूटी है, मैनमिष है, चाईना अष्टर है। इसे अगर कोई चिकित्सक रोगी को मार्च महीने में सेवन करने देता है तो वह औषधि, काम नहीं करेगी। इसी प्रकार नीम, बकायन, बेरीगेटाकेना, सालमपंजा, कोंच के बीच, लाजवंती के बीज हैं, इस सभी का फरवरी माह में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तुलसी के पत्ते को रविवार के दिन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए तथा पूर्णमासी या अमावस्या के दिन इसको तोड़ना नहीं चाहिए। जब स्त्री माहवारी के दिनों में रहे तो इसके पत्ते को नहीं तोड़ें। इस प्रकार एक-एक वृक्ष का बहुत महत्व है। जो तत्ववेत्ता संत हैं, औषधि को जानने वाले हैं, वे नियम के अनुसार रोगी पर इन जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं।

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