गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, क्या सगुण परमेश्वर की भक्ति से हम सांसारिक भोग या आनंद प्राप्त कर सकते हैं? क्या हमें इससे मोक्ष मिल सकता है? क्या बीजमंत्रों के प्रभाव से भाग्य बदल सकता है? क्या बीजमंत्रों से भगवान का दर्शन होना संभव है?
परम पूज्य गुरुदेव : साकार और निराकार ऐसे हैं जैसे बर्फ और जल। बर्फ से जल आता है और जल से बर्फ बनती है। जैसे भगवान नटराज चित्रकार से चित्र अलग होता है लेकिन नटराज से नृत्य अलग नहीं होता। इसी प्रकार हमें निराकार की भक्ति, परमात्मा की भक्ति जो हमें तन से, मन से, धन से सबसे परे ले जाती है, विचारों से परे ले जाती हैं, क्योंकि परमात्मा निर्विकार है, अकाल है, अमूर्त है, भावातीत है, विचारातीत है। कुछ संत महात्मा उसके ध्यान में लगे रहते हैं। अनेक संतों ने हमें निराकार ईश्वर की भक्ति का ज्ञान दिया।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में भी कहा है, ‘मेरे चार प्रकार के भक्त हैं। एक अर्थाथी जो अर्थ के लिए मेरे पास आता है। एक आर्त है, जो दुखी है, कष्टों से घिरा है, वह मेरे पास आता है। एक जिज्ञासु है, वह जिज्ञासा के लिए मेरे पास आता है और एक ज्ञानी है जो निराकार तत्व से मुझे जानता है और वह मेरी भक्ति में लीन रहता है। मुझे ये सभी प्रिय हैं।” भगवान का जो निराकार स्वरूप है उसकी तरफ लाखों-करोड़ों में कोई एक व्यक्ति जाता है। जब तक हम तन से दुःखी हैं, मन से दुःखी हैं, धन को कमी है, कजों से घिरे पड़े हैं। बच्चों के पास खाने के लिए नहीं है, पहनने के लिए वस्त्र नहीं है, मकान नहीं है। जिसकी आंखें भूख से जल रही हैं। उसके लिए परमात्मा का ध्यान करना बहुत कठिन है। जब व्यक्ति सभी सुखों से तृप्त हो जाता है तो उसका ध्यान निराकार परमात्मा की तरफ लगता है।
वेदों में एक लाख श्लोक हैं। वे ज्ञान के हैं। भक्ति के हैं। निराकार के हैं। लेकिन जो 95 हजार श्लोक हैं वे संगीत के आयुर्वेद के विद्या के, फिजिक्स, कमेस्ट्री, बायलोजी के, धन के हैं। ऋषि-मुनियों ने भी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का उपदेश किया है। मोक्ष का मार्ग तब जायेगा जब हम धर्म को जानेंगे, अर्थ हमारे पास होगा, काम होगा, शान्ति होगी, हमारा शरीर निरोग होगा।
जिसके घर में धन की कमी है इन बीजमंत्रों के प्रभाव से धन की कमी दूर होगी। भगवान शिव, भगवान नारायण, भगवान गणपति, भगवान ब्रह्मा ने कहा है, ‘जो इन मंत्रों का पाठ करेगा उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं रहेगी।’
इस जगत का नियम है कि जैसा भी कर्म करेगा उसका फल अवश्य मिलेगा। जो व्यक्ति किसी को कष्ट देकर व्यभिचार से, हिंसा से, चोरी, बेईमानी, हेराफेरी से धन कमाता है। इस प्रकार का कमाया धन रोग बन जाता हैं उससे अनेक कष्ट आते हैं। ऐसे लोग सरकार व कानून की नजरों से बच सकते हैं। लेकिन परमात्मा से नहीं बच सकते। बीज मंत्रों के पाठ करने से सारे कष्ट दूर होंगे, ऐसा भगवान शिव, भगवान गणपति, भगवान नारायण का वायदा है। और इससे परमात्मा भी मिलेगा, इससे मुक्ति मिलेगी, भुक्ती मिलेगी उससे संसार का सब कुछ मिलेगा। यह भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का निश्चित वायदा है, उनकी गारण्टी है।
गुरुदास : परम पूज्य गुरुदेव, बहुत से लोगों के मन में यह जिज्ञासा होती है कि बीज मंत्रों के पाठ से जो हमें लाभ मिलता है उसके पीछे क्या रहस्य है? क्या मंत्रों में जो शब्द हैं उनसे हमें लाभ होता है या उन शब्दों से जो तरंगें निकलती हैं उनसे हमें लाभ होता है या यह लाभ उन देवी-देवताओं की कृपा से होता है जिनके ये मंत्र हैं। इस जिज्ञासा का आप निवारण करें।
परम पूज्य गुरुदेव : यह अति कल्याणकारी प्रश्न है इसका दो प्रकार का उत्तर है। एक तो वैज्ञानिक है कि किस मंत्रों में क्या-क्या ध्वनि है उसका क्या-क्या प्रभाव है, किस ध्वनि से क्या-क्या कलर निकलते हैं, किस-किस ध्वनि से मृत्यु दी जा सकती है, किस-किस ध्वनि से जीवन दिया जा सकता है, जैसे आपने गंगा को देखा। गंगा कितनी पावन है और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गंगा कोई पावन नहीं है, सिर्फ जल है। भगवान शिव ने कहा है कि गंगा पावन है, तब गंगा पावन है, भगवान नारायण ने कहा है कि ये पावन है, तव पावन है। भगवान ब्रह्मा ने कहा है, पावन है तब पावन है। जो भगवान ने कह दिया वही सत्य है। अगर भगवान ने कह दिया कि ये जल नहीं अमृत है तो ये अमृत है। जिस तरह आप अमृतसर, हरमिंदर साहिब जाते हैं, स्नान करते हैं, वह जल है, जैसे आम जल है। लेकिन सद्गुरुओं ने कहा है कि जो इसमें स्नान करेगा उसके पाप हटेंगे तो जल से पाप नहीं हटते, सद्गुरुओं के वचनों से पाप हटते हैं। सद्गुरुओं ने कह दिया-
गुरू ग्रंथ साहिब मानियो प्रगट गुरा के देह,
जाका हृदय शुद्ध है सो शब्द में लेह ।
यह बीज मंत्र जो मैं दे रहा हूं, यह भगवान नारायण के हैं। मैं आपको सरलता से समझा हूं कि भगवान नारायण, भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा ने कहा है कि इन मंत्रों के पाठ से लाभ मिलता है, तब लाभ मिलता है। शब्दों में कुछ नहीं है। अगर मैं आपको कह दूं कि एबीसीडी का जाप करो तो आपके काम हो जाएंगे तो आपके काम हो जाएंगे। लेकिन इसमें एबीसीडी काम नहीं करेगी एबीसीडी तो सारी दुनिया करती है लेकिन किसी का काम नहीं होता। राम-राम सारी दुनिया करती है लेकिन अगर सद्गुरू कह दे कि राम-राम जपो तो कार्य होता है।
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