रसरत्नसमुच्य, प्रथम अध्याय में वर्णित पारे की महिमा निम्नलिखित है :-
सैकडों अश्वमेध यज्ञ करने से अथवा करोडों गौओं का दान करने से या हजारों मन सुवर्ण का दान करनेसे अथवा सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान करने से जो पुण्य होता है वह पुण्य मनुष्योंको केवल पारे का दर्शन करने से प्राप्त होता है । जो मनुष्य पारे का शिवलिंग बनाकर भक्ति- सहित उसका पूजन करता है तो उसको त्रिलोकी- ( भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक इन तीनों लोकों ) में स्थित शिवलिंङ्गों के पूजन करने का फल प्राप्त होता है । भक्षण ( खाना ), स्पर्शन (छूना ), दान ( देना ), ध्यान और पूजन करना यह पाँच प्रकार की रस (पारे) की पूजा कही गयी है । यह बड़े – बड़े भयङ्कर पाप को नाश करनेवाली है | पारे को यथाविधि भक्षण करने से सम्पूर्ण मनुष्यों के पूर्वजन्म में किये पापों से उत्पन्न हुए रोगों के समूह निस्सन्देह नष्ट हो जाते हैं । गन्धक के साथ पारे को पीस कर कज्जली करके उसके द्वारा शिवलिंग पर लेपन करने से मनुष्यों के पूर्वजन्मकृत पाप शीघ्र नष्ट होते हैं जो मनुष्य पारे के साथ एक चुटकी भर अभ्रक को जारण करता है, उस- को १०० अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है । ऐसा शिवजी महाराज ने कहा है । जो मनुष्य शिवजी के परम श्रेष्ठ तेज: स्वरूप है (वीर्यरूप ) पारे की निन्दा करता है, वह कल्पान्तपर्यन्त घोर नरकम पडता है ।। २३-२९ ।।
जो वैद्य उत्तम प्रकार से शुद्ध कर के भस्म किये हुए अथवा जारण किये हुए पारे को योग्य रीति से रोगियों को देता है, उसको निरन्तर तुलादान अथवा अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है । रस ( पारे) के सिद्ध हो जाने पर मैं जगत् को दरिद्रता से मुक्त कर दूँगा इस प्रकार किया हुआ ध्यान रस का ध्यान कहा जाता है । यह ध्यान ब्रह्महत्या को आदि लेकर समस्त पाप को नष्ट करता पारे की पूजा- विधि में अभ्रक का ग्रास देना पारे का नैवेद्य कहा जाता है । इस प्रकार पारे का पूजन करके मनुष्य अश्वमेध यज्ञ करने के फल को प्राप्त होता है | पारे के उदर में स्थित रह जाने पर जिस मनुष्य की मृत्यु हो जाय तो वह भयंकर दुष्कर्मों से मुक्त हो कर परम पद (मोक्षा) को प्राप्त हो जाता है ।। ३०-३३ ॥
मूर्च्छित किया हुआ पारा रोग को नष्ट करता है, वद्ध पारा मुक्ति देता है, और मृत (अर्थात् भस्म किया हुआ) पारा मनुष्य को अमर कर देता है; इस लिये पारे से बढकर दूसरा करुणा कर कौन है ? देव, गुरु, गौ और ब्राह्मणादि की हिंसाकरणरूप पापसमूह से उत्पन्न हुए असाध्य शेतकुष्ठ को भी जो अवश्य नष्ट कर देता है, उस पारे से अधिक पवित्र दूसरा पदार्थ कौन है ? जो मनुष्य प्रारम्भ में ही रस (पारे) के बन्धन के लिये उद्योग करता है, वह धन्य है और उसके सिद्ध हो जाने पर सम्पूर्ण पृथ्वी को अजर, अमर करने की जिसकी इच्छा होती है, वही मनुष्य अपने रसबन्ध रूप कार्य में सफलता प्राप्त करता है ।। ३४ ।। ३५ ।। ३६ ।।
पारद शिवलिंग पूजन से हुए अनुभव
बेटी के लिए आया अच्छा रिश्ता
मेरी छोटी बेटी गुरुग्राम में एक अच्छी फर्म में नौकरी कर रही है। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन उसके लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं आ रहा था। जो रिश्ते आए भी वे हमें पसंद नहीं थे क्योंकि वे मेरी बेटी के अनुरूप नहीं थे। मैंने समागम में पारद शिवलिंग ग्रहण किया और उसे पूरे विधि-विधान से घर में उचित स्थान पर स्थापित कर दिया। मैं उसकी पूजा भी करता था। इसके प्रभाव से मेरी प्रार्थना स्वीकार हो गई और पिछले सप्ताह ही एक ऐसा रिश्ता आया जिसकी मंजूरी बेटी ने भी दे दी क्योंकि वह लड़का भी गुरुग्राम की एक प्रसिद्ध फर्म में अच्छी पोस्ट में नौकरी कर रहा है।
राम देव यादव, गुरुग्राम, हरियाणा
मिला पुश्तैनी जमीन का हक
मैं अपने परिवार सहित दिल्ली में रहता हूं लेकिन बाकी सब लोग गुरदासपुर के गांव में ही रहते हैं। हमारे गांव में पुश्तैनी जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। हमारा गांव में लंबा-चौड़ा खानदान है। इस कारण उनका प्रभाव पंचायत में भी ज्यादा होता था। मैंने अपने हिस्से के लिए कोर्ट में केस डाल दिया था। इसी दौरान मैंने समागम में परम पूज्य सद्गुरुदेव जी के करकमलों द्वारा पारद शिवलिंग ग्रहण करके घर में स्थापित कर दिया। जब फैसला हुआ तो सभी हैरान रह गए क्योंकि फैसला मेरे हक में हुआ था। गुरु जी आपके आशीर्वाद और पारद शिवलिंग की कृपा से यह असंभव कार्य संभव हो गया और मुझे पुश्तैनी जमीन का हक मिल गया।
गुरमीत सिंह, गुरदासपुर, पंजाब
माइग्रेन की दवाइयों से मिली मुक्ति
परम पूज्य सद्गुरुदेव जी, मेरी बहू जो पिछले वर्ष से माइग्रेन के दर्द से परेशान थी, उसके लिए कई जगह इलाज करवाया गया लेकिन कहीं भी कोई राहत नहीं मिली। मैं दोनों समय पाठ भी करती थी। मैंने समागम में पारद शिवलिंग के प्रभाव के बारे में जाना और ग्रहण करके घर ले आई। मैंने विधिपूर्वक पारद शिवलिंग का पूजन किया और अपनी बहू के माइग्रेन रोग के लिए प्रार्थना भी की। इसके आशीर्वाद से मेरी बहू पूर्णत: ठीक हो गई और अब कोई दवाई भी नहीं खाती है। यह पारद शिवलिंग की कृपा से संभव हुआ है।
रोशनी अग्रवाल, नागपुर, महाराष्ट्र
धन का अभाव खत्म हुआ
मेरी परचून की दुकान पिछले दो महीने से न के बराबर बिजनेस कर रही थी। कुछ लोग जो उधार ले गए थे वे वापिस नहीं कर रहे थे और जिन्होंने पिछला पेमेंट नहीं दिया था मैं उन्हें माल नहीं दे रहा था। घर की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई थी। मैंने समागम में पारद शिवलिंग ग्रहण किया और घर में श्रद्धापूर्वक स्थापित कर दिया। इस शुभ कार्य को करने के बाद कुछ ही दिनों के अंदर मुझे अच्छे परिणाम मिलने लगे। मेरी पेमेंट भी आने लगी और ग्राहक भी आने लगे। मेरा जो धन का अभाव था उसमें राहत मिल गई। पारद शिवलिंग की कृपा व आपके आशीर्वाद से रोजगार में रुकावट खत्म हो गई।
देवेन्द्र सिंह, पटना, बिहार
बंद पड़ा बिजनेस चलने लगा
मेरा एक्सपोर्ट गारमेंट का कारोबार था जो कई सालों से बिल्कुल ठप्प हो गया था। मुझ पर करोड़ों का कर्ज हो गया था जिसे लेकर कर्ज वसूलने वाले व्यापारी दबाव बना रहे थे। पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव की कृपा का प्रारूप है। इस अलौकिक तथ्य को मैंने और मेरे परिवार ने स्वयं महसूस किया है। चारों ओर से निराश होकर मैंने परम पूज्य सद्गुरुदेव जी से दिव्य पारद शिवलिंग ग्रहण किया। इस अभिमंत्रित शिवलिंग की आराधना करने के कुछ समय बाद ही मेरा व्यापार अचानक चलना शुरू हो गया। विदेशों से लगातार आर्डर मिलने शुरू होने लगे, मुझ पर साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा होने लगी।
बृजमोहन कौशिक, नारायणा, नई दिल्ली
सारी मनोकामनाएं पूरी हो गई
पिछले कुछ समय से मैं बहुत परेशान चल रहा था। आर्थिक संकट के अतिरिक्त पूरा परिवार मानसिक रूप से अशांत रहता था। बेटे की नौकरी भी नहीं लग रही थी। मेरी पत्नी भी हमेशा बीमार रहने लगी थी। मैंने कई धार्मिक अनुष्ठान भी करवाए मगर हमारी कोई भी मनोकामना पूरी नहीं हो रही थी और न ही संकटों का समाधान हो रहा था। अभिमंत्रित पारद शिवलिंग की स्थापना करते ही घर में जैसे चमत्कार होने लगा। मेरा व्यापार चलने लगा और बेटे की अच्छी नौकरी भी लग गई। कुछ समय बाद पत्नी भी पूरी तरह स्वस्थ हो गई। भगवान शिव की कृपा से मात्र कुछ दिनों में ही हमारी सारी मनोकामनाएं पूरी हो गई।
गोविन्द सिंह, कोलकाता, पश्चिम बंगाल